Revealing the Unrevealed Secrets Part I


Revealing the Unrevealed Tips and Tricks of Fashion & Jewels || by Designer Swapnil




॥ फिर आया माह  प्रेम का और प्रेम के इज़हार का ॥

Valentine's  Day Special 



प्रेमियों के लिए सबसे खास दिन 14 फरवरी यानि वैलेंटाइन डे बस कुछ ही दिन दूर है । इस दिन के लिए लड़कियां ना जाने कितनी तैयारियां करती हैं ताकि वो अपने वैलेंटाइन को एक नजर में ही इम्प्रेस कर सकें और उन्हें अपना बना सकें। आप फिजाओं में मौजूद रोमांस से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते हैं।  किसी भी पार्टी या फंक्‍शन के लिए खुद को तैयार करना बहुत आसान होता है। पर जब वैलेंटाइन डे जैसे खास मौके की बात आती है तब दिल में एक अलग सा ही अरमान होता है कि अपने प्रेमी के लिए कुछ इस तरह तैयार हुआ जाए कि वह आपको पहली ही नज़र में देख कर आपके प्‍यार में घायल हो जाए। जी हां, अगर आप इस दिन का बड़ी बेसब्री से इंतज़ार कर रहीं थीं तो लीजिए हम आपके इस मौके को और भी रंगीन बनाने के लिए लाए हैं कुछ खास फैशन टिप्स जिन को आज़मा कर आप खुद  आत्मविश्वास से  भर जाएंगी।


सर्वप्रथम यह गौर फरमाने योग्य बात है कि आप जिन परिधानों में सबसे अच्छे लगते हैं, वही परिधान धारण करें । लेकिन एक बात का खास ख्याल रखें, कपड़े आपकी सोच और व्यक्तित्व  को उभारते हैं इसलिए इनका चयन सूझ-बूझ के साथ करें । इसके अलावा डेटिंग की जगह का भी कपड़े पहनते वक्त ख्याल रखें ।  चाहें आप किसी रोमांटिक कैंडल लाईट डिनर के लिए तैयार हो रहे हों या फिर घर पर पार्टी की अरेंजमेंट हो आप जरुर कुछ खास और स्पेशल दिखना चाहते हैं। यहां हम आपको बता रहे हैं आप कैसे इस खास दिन में खास लग सकती हैं।

यदि आप कोई मूवी देखने जा रहे हों तो पीला, नारंगी और नीले रंग के कपड़े अपने लिए चुन सकते हैं।
यदि आपके स्पेशल वन ने आपके साथ एक पॉश रेस्टॉरेंट में डिनर का प्लान किया है तो आप जरुर एक एलिगेंट दिवा के जैसी दिखना चाहेंगी। आप ऐसा कोई कलर या स्टाइल चुनें जो आपके उपर सूट करता हो साथ ही आपके लिए कंफर्टेबल भी हो। एक क्लासी क्लच के साथ अपने एक्सेसरी की जरुरत को कम्प्लीट करें। साथ ही स्ट्रैप्ड सैंडल पेयर करें और एक मेसी हेयरस्टाइल से अपने लुक को करें फिनिश।

साल के पूरे दिन आप नॉर्मल जींस पर मूवी देखना पसंद करती होंगी पर वैलेंटाइन के इस खास दिन पर आप अपने स्पेशल वन के साथ जरुर कुछ स्पेशल दिखना चाहेंगी। इसके लिए आपको सबसे पहले अपने आउटफिट पर ध्यान देना होगा। ऐसे में आप  मैक्सी स्टाइल ड्रेस को कैरी कर सकती हैं । साथ ही इसके उपर लेदर जैकेट और टाइट्स को कैरी करें अगर मौसम थोड़ा ठंडा है तो । ज्वेलरी  में एंटीक ट्राइबल ज्वेलरी के साथ  सॉफ्ट पिंक कलर की लिप्स्टिक यूज करें । सिनेमा थियेटर में अपने खास के साथ बैठकर मूवी देखने का इससे बेहतर आइडिया कुछ हो ही नहीं सकता है।

झील के किनारे और सुंदर सी सूरज की किरणें, आप और आपके साथ आपका वैलेंटाइन । सुनने में काफी रोमांटिक लगता है ना । लेकिन उन्हें अपना दीवाना बनाने के लिए इतना ही नहीं आपको अपने आउटफिट्स पर भी थोड़ा एफर्ट लगाने की जरुरत है। अपनायें क्विर्की स्वेट शर्ट जिस पर हार्ट और लिप्स की डिजाइन बनी हों। फिशटेल चोटी, पिंक लिप्स्टिक और  कंफर्टेबल स्नीकर्स  आपके लुक को पूर्ण करेंगे ।

इस दिन लाल रंग का विषेश महत्‍व होता है। इस मनमोहक रंग से अपने प्‍यार का इज़हार करिए। इस दिन अगर आप लाल रंग की ड्रेस या फिर नेलपॉलिश को लगा कर उनके हाथों में अपना हाथ डालेगीं तो लाल रंग आपके प्‍यार को दर्शाने में इंसाफ करेगा। इसलिए अपने नाखूनों में बेरी रेड कलर की नेलपॉलिश लगाना न भूलें । मेसी बन के साथ सॉफ्ट कर्ल हेयरस्टाइल रखें साथ ही एक डेलीकेट एक्सेसरीज पहनें । अगर आप चाहें तो अपने लाल रंग की ड्रेस के साथ सफेद या काला रंग भी मैच कर सकती हैं। कोशिश करें कि इस दिन लाल रंग या उससे मिलती जुलती ही ऐक्सेसरीज़ पहने।

मेकअप करते समय निम्नलिखित बातों का  विशेष ध्यान रखें :-

- पाउडर की तुलना में क्रीम आई शैडो और क्रीम ब्लश ऑन से आंखों व गालों की स्किन ज्यादा ड्राय दिखायी देती है। कुछ वक्त के बाद आंखों की स्किन पर ड्राई पैच दि खायी देता है और गालों पर झुर्रियां ज्यादा साफ दिखायी देती हैं। लाइट पाउडर आई शैडो और पाउडर ब्लशऑन यूज करें।

- कम एज की युवतियां अगर आई लाइनर नहीं लगाना चाहती हैं, तो कलरफुल पेंसिल लगा सकती हैं। आजकल दो कलर की आई पेंसिल लगाने का भी चलन है।

- अगर आप अपनी आंखों पर ब्राउन आई शैडो ही लगाना पसंद करती हैं, तो अपने दिल को मनाएं और यह शेड ना लगाएं। इस शेड में पीले या लाल रंग के कुछ अंश होते हैं, इससे आंखें थकी हुई दिखायी देती हैं। कत्थई रंग का प्योर ब्राउन शेड लगाएं। इससे नैचुरल लुक आएगा ।

इन बातों पर अमल करने के बाद तो निश्चित है कि आपके 'समवन स्पेशल' आपके उपर से अपनी नजरें ही नहीं हटा पायेंगे।

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सांस्कृतिक विशेषता का सौंदर्य  समेटे : छत्तीसगढ़  के पारंपरिक गहने 

Jewels of Chattisgarh 



र प्रदेश में अपनी संस्कृति को सुरक्षित रखने में गहनों का विशेष स्थान है। आभूषणों की परंपरा व इतिहास तथा इन्हें बनाने वाले कारीगरों के विषय में और अधिक जानकारी की जरूरत है।
छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विशेषता का सौंदर्य यहां के आभूषणों में निहित है । उम्र-वर्ग, सामाजिक दरजे और भौगोलिक कारक से वर्गीकृत होता आभूषणों का भेद, इसे व्यापक और समृद्ध कर देता है । आभूषणों के रुप में सौंदर्य की कलात्मक चेतना का एक आयाम हजारों साल से जीवन्त है और आज भी सुनहरे-रुपहले पन्नों की तरह प्रकट है ।

छत्तीसगढ़ की संस्कृति में आभूषणों की पृथक पहचान है, यहाँ की महिलाएँ जब अपने पारंपरिक आभूषण पहनकर निकलती हैं तो उनका रूप सौंदर्य और अधिक निखर उठता है।

छत्तीसगढ़ में गाए जाने वाले सुआ और ददरिया गीतों में यहां के आभूषणों का खूबसूरती से वर्णन हुआ है- एक गीत है जिसमें एक लड़की अपनी मां से सुआ नाचने जाने के लिए अपनी माँ से आभूषण मांगती है- दे दे दाई तोर गोड़ के पैरी, सुआ नाचे बर जाबोन... गीत में आगे वह अपनी मां से हाथ का बहुंटा, घेंच का सूता, माथे की टिकुली, कान की खूंटी और हाथ की ककनी आदि की मांग करती है।

छत्तीसगढ़ में बनने वाले आभूषणों के लिए सोना, चांदी, काँसा, पीतल, एल्युमिनियम, लोहा, मिश्र धातु, काष्ठ, बाँस, लाख आदि का प्रयोग किया जाता है।

वैसे तो छत्तीसगढ़ के अधिकांश इलाकों में महिलाएँ गोदना को एक पारंपरिक गहने के रूप में धारण करती हैं और पवित्रता की भावना से अपने सौंदर्य को निखारने के लिए फूल पत्ती, जानवर अपने प्रिय का नाम या अपनी पसंद के दूसरे डिजाइन गुदवाती हैं। गोदना के बारे में मान्यता है कि टोने- टोटके, भूत-प्रेत आदि से बचाव के लिए गोदना को आदिवासी अंचल में रक्षा कवच की तरह अनिवार्य माना जाता है। यह धारणा भी प्रचलित हैं कि ऊपर से पहने गए गहने तो इस धरती पर ही रह जाएंगे परंतु शरीर में गुदवाया गया गहना हमारी मृत्यु के बाद भी हमारे साथ ही जाएगा। इसीलिए पुराने जमाने में छत्तीसगढ़ की सभी स्त्रियों के लिए छोटा सा ही सही एक गोदना गुदवाना जरूरी समझा जाता था।

गोदना के साथ-साथ यहाँ की महिलाएं आभूषणों से अपने आपको सजाने में गर्व का अनुभव करती हैं। यहां की महिलाओं द्वारा आभूषण धारण करने के बारे में खास बात यह है कि एक समय ऐसा था कि वे अपने अधिकांश पारंपरिक गहनों का इस्तेमाल कुछ खास अवसरों पर ही नहीं बल्कि हमेशा धारण करती थीं। यहां तक की खेत-खलिहान में काम करते समय भी वे कमर में करघनी, पैरों में पैरी, तोड़ा तथा हाथों में कड़ा, पहुंनी तथा गले में पुतरी, सुता आदि धारण किए रहती थीं। यह बात और है कि अब आर्थिक परिस्थिति के चलते उनके ये गहने कम होते चले जा रहे हैं।

गहनों के विभिन्न प्रकार

जूड़े व चोटी के गहने- यहां की महिलाएं बालों को भी विशेष प्रकार के गहनों से सजाती हैं जैसे जूड़े व चोटी में धारण किए जाने वाले कुछ खास गहने हैं जिसमें जंगली फूली, पंख, कौडिय़ां, सिंगी, ककई- कंघी, मांगमोती, पटिया, बेंदी आदि प्रमुख हैं।

माथे पर पहने जाने वाले गहने- माथे पर लगाई जाने वाली टिकुली भी अनेक डिजाइन की होती हैं। महिलाएं माथे को अपनी पसंद से फूल आदि बनाकर तो सजाती ही हैं पर साथ ही धातु से बने टिकुली का प्रयोग गोंद से चिपका कर माथे पर लगाने का प्रचलन यहां बहुत पुराना है।

कान के गहने- कान में पहने जाने वाले आभूषणों के तो यहां अनेक प्रकार हैं जैसे- ढार, तरकी, खिनवां, इयरिंग, बारी, फूल संकरी, लुरकी, लवंग फूल, खूंटी, तितरी आदि।

नाक के गहने- यहां नथ, नथनी, लवँग, फुल्ली आदि धारण करने का प्रचलन है।

गले की शोभा बढ़ाने वाले गहने- गले में पहने जाने वाले आभूषणों में प्रमुख हैं- सूंता, पुतरी, कलदार, सुर्रा, सँकरी, तिलरी, हमेल तथा हँसुली।

बाजू, कलाई और उंगलियों के गहने- इनमें प्रमुख हैं चुरी बहुटा, कड़ा हरैया, बनुरिया, ककनी, नाँगमोरी, पटा, पहुँची, ऐंठी, मुंदरी आदि।

कमर में पहने जाने वाले गहने - चाबी गुच्छ, भारी और चौड़े कमरबंद और करधन ।

पैरों के गहने- पैरों में पैरी, तोड़ा, सांटी, कटहर, चुरवा, चुटकी, बिछिया आदि पहना जाता है।

बच्चों के गहने- 

यहां के बच्चों को भी आभूषण पहनाने का प्रचलन है। बहुत से आभूषण तो बच्चों को बुरी नजर से बचाने के लिए पहनाया जाता है। जैसे- बघनखा, ठुमड़ा, गठुला, मुंगुवा, ताबीज तथा हाथों व कमर में काला धागा हाथ में काली मोती और पैरों में चूड़ा आदि।

पुरुषों के गहने-

आभूषण पहनने में पुरुष भी पीछे नहीं रहते। यहां उनके लिए भी विभिन्न प्रकार के आभूषण प्रचलित हैं। जैसे चुरुवा, कान की बारी और गले में कंठी पहनने का चलन है |

परंतु अब छत्तीसगढ़ के ये पारम्परिक गहने संग्रहालय की वस्तु बनते जा रहे हैं अत: इन्हें सहेजे जाने की जरूरत हैं। अन्यथा एक दिन ऐसा आएगा कि हम भूल जाएंगे कि छत्तीसगढ़ की स्त्रियों के पारंपरिक गहने कैसे होते थे। आज आधुनिकीकरण के प्रभाव में धीरे-धीरे आदिवासी अँचलों को छोड़ कर अन्य इलाकों में गोदना गुदवाने की प्रथा तो लगभग समाप्त ही हो गई है, पारंपररिक गहने भी विलुप्ति की कगार पर हैं।

छत्तीसगढ़ में पारंपरिक गहनों से सजी स्त्री अब लोक मंचों में ही दिखाई देती हैं। गाँव के हाट बाजार और मेले मड़ई में गहनों का बाजार सजा नजर आता हैं जहाँ सोने, चांदी जैसे महंगे धातु के नहीं बल्कि सस्ती धातुओं से निर्मित विभिन्न प्रकार के गहने देखने को मिल जाते हैं, इनमें आधुनिक डिजाइनों की झलक भी दिखाई देती है।

छत्तीसगढ़ के आभूषणों के लिए प्रयोग किए जाने वाले शब्द :: 

लुरकी : यह कानों में पहना जाता है, जो पीतल,चांदी,तांबे धातुओं का बना होता है । इसे कर्ण फूल,खिनवा कहा जाता है ।

करधनः चांदी गिलट या नकली चांदी से बना यह वजनी आभूषण छत्तीसगढ़ के प्रायः सभी जनजाति की महिलाओं द्वारा कमर में पहना जाने वाला आभूषण है । इसे करधनी कहते है ।

सूतियाः गले में पहनाजाने वाला यह आभूषण ठोस गोलाई में एल्यूमिनिय’म,गिलट,चांदी,,पीतल आदि का होता है ।

पैरीः पैर में पहना जाता है, गिलट यया चांदी का होता है ।इसे पैरपटटी, तोड़ा या सांटी भी कहा जाता है । कहीं-कहीं इसका नाम लच्छा भी है ।

बांहूटा :- वांह में स्त्री पुरूष दोनो द्वारा पहना जाने वाला यक आभूषण अकसर चांदी या गिलट का होता है ं इसे मैना जनजाति में पहुंची भी कहा जाता है । भुंजिया इसे बनौरिया कहते है ।

बिछियां :- पैर की उंगलियों में पहना जाता है, हगर यह चांदी का होता है । इस का अन्य नाम चुटकी बैगा जनजाति में अपनाया जाता है ।

ऐंठीः- यह कलाई में पहना जाने वाला आभूषण है, जो कि चांदी,गिलट आदि से बनाया जाता है । इसे ककना और गुलेठा भी कहा जाता है ।

बन्धाः- गले में पहना जाने वाला यह सिक्कों का माला होता है, पुराने चांदी के सिक्कों की माला आज भी आदिवासी स्त्रियों की गले की शोभा है ।

फुलीः- यह नाक में पहना जाता है, चांदी,पीतल या सोने का भी होता है, इसे लौंग भी कहा जाता है ।

धमेल : – गले में पहना जानेवाला यह आभूषण चांदी या पीतल अथवा गिलट का होता है । इसे सरिया व हंसली भी कहा जाता है ं

नागकोरीः- यह कलाई में पहना जाता है मुख्य रूप् से जनजाति इसका प्रयोग करते है ।

खोंचनीः- यह सिर के बालों में लगाया जाता है । बस्तर मुरिया ,माडि़या आदिवासी इस लकड़ी से तैयार करते हैं । चांदी या गिलट का तथा कहीं पत्थर भी प्रयोग किया जाता है । बस्तर में प्लास्टिक कंघी का भी इस्तेमाल इस आभूषण के रूप् में होता है । इसे ककवा कहा जाता है ।

मुंदरी: – यह हाथ में उंगलीयों पहना जाने वाला धातु निर्मित आभूषण है, बैगा जनजाति की युवतियां इसे चुटकी भी कहती है ।

सुर्डासुर्रा- यह गले में पहना जाता है । गिलट या चांदी निर्मित यह आभूषण छत्तीसगढ़ के आदिवासियों की एक उभ्यनिष्ठ पहचान है ।


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Traditional Ladakh Jewellery ♤ Ethnic Jewellery of Ladakh

ज्वेल्स ऑफ लद्दाख .........



मारा देश भारतवर्ष विविध संस्कृतियों ,धर्म, कला, परंपराओं आदि का सुंदर चित्रण करता है . हमारे देश भारत के ताज पर सजे जम्मू व कश्मीर  के लद्दाख क्षेत्र, अपने भेदकारी व अतुल्नीय  पहनावे व आभूषणों के लिए प्रख्यात है. यहाँ की प्राचीनतम परंपराओं को खुद में समेटे हुए व बेहतरीन अभिकल्पों  से  लैस आभूषणों  का  सौंदर्य देखते ही बनता है. विभिन्न रत्नों व उपरत्नों से सजे पेराक की लद्दाख के आभूषणों में अपनी अलग विशिष्टता है . पेराक एक विशेष प्रकार के हेड्ड्रेस अर्थात टोपी अथवा पगड़ी को कहते हैं जिसे लद्दाख की महिलायें मुख्य रुप से धारण करती  हैं  यह चमड़े के पट्टे द्वारा बनाया जाता है  जिसे  फिरोज़ा , मूंगे आदि  द्वारा सुसज्जित किया जाता है. यह लद्दाख की महिलाओं के बीच बहुत अधिक प्रचलित है.

पेराक आभूषण की अपनी अलग अदा है. पेराक चमड़े या कपड़े की लंबी पट्टी से बनता है जिसे मूंगे, फिरोज़ा व कौड़ियों की सीधी खड़ी रेखाओं द्वारा सजाया जाता है. पेराक अपनी जगह पे स्थापित रहे इसलिए चांदी की चेनों का प्रयोग कर इसे स्थिर किया जाता है. चांदी की चेनों के नीचे चांदी की सपाट पटिया लगाईं जाती हैं. इसे अच्छे भाग्य व शुभता का प्रतीक माना जाता है.

पेराक को लद्दाख की महिलाओं के वैभव का प्रतीक मना जाता है. उनकी संपन्नता, आर्थिक व सामाजिक स्थिति का अनुमान पेराक पर सजे रत्नों की संख्या व गुणवत्ता द्वारा लगाया जा सकता है .पेराक पर फिरोज़ा का अधिकाधिक प्रयोग किया जाता है. पेराक को लद्दाख में 05 से 06 वर्ष की आयु की बच्चियाँ भी धारण करती हैं परंतु इनके लिए पेराक के अभिकल्प को छोटा व सिंपल बनाया जाता है.

विवाहित स्त्रियों के लिए पेराक एक महत्वपूर्ण आभूषण माना जाता है. माँ अपनी बेटी को पेराक उसके विवाह में उपहार स्वरुप देती हैं. लद्दाख की महिलाओं के लिए यह उनकी परंपराओं व संस्कृति का  अभिन्न अंग है. इसके अतिरिक्त पेराक पर जड़ित रत्न एवं उपरत्न महिलाओं के लिए एक सुरक्षित इंवेस्ट्मेंट के रुप में भी प्रचलित है. कला का बेमिसाल व उत्कृष्ठ उदाहरण होने के साथ साथ पेराक की अपनी फंक्शनल वैल्यू भी है. इसके द्वारा  महिलायें स्वयं को शीत लहर व सर्द हवाओं से भी बचाती हैं.

पेराक के मूल अभिकल्प की यदि बात करें तो इसको बनाने के लिए करीब 1 मी. लंबा भूरा अथवा लाल चमड़ा अथवा  मोटा नमदा इस्तेमाल में लाया जाता है. पेराक को सीधा करने पर यह सर्प की चमड़ी की भाँति प्रतीत होता है. इसे महिलाओं के सिर पर इस प्रकार बाँधा जाता है मानो कोबरा  अपना फना फैलाए बैठा हो. इसके बाद दो काले वूल इयर फ्लैप्स सिर के दोनों ओर धारण किए जाते हैं.  हिन्दू और बौध  इकॉनोग्राफी के अनुसार कोबरा को देवताओं का रक्षा कवच माना गया है. अत: ऐसी मान्यता है कि पेराक को धारण करने वाली महिलाओं की यह रक्षा करता है.

100 से 400 फिरोज़ा रत्न की खड़ी रेखाओं द्वारा इसे सुसज्जित किया जाता है जिससे इसका भार लगभग 3 किलो ग्राम तक हो जाता है. फिरोज़ा के अतिरिक्त मूँगा, कार्नेलिअन, एम्बर जैसे रत्नों का उपयोग भी होता है.

इसके अतिरिक्त लद्दाख की महिलाओं द्वारा धारण किए जाने वाले अन्य आभूषणों  की यद बात करें तो लद्दाख इयररिंग्स को बनाने के लिए फ्रेश वॉटर पर्ल्स का उपयोग किया जाता है. गऊ( Gau )  नेकलेस का भी लद्दाख आभूषणों में विशेष महत्व है . यह 24 कैरेट सोने व  फिरोज़ा , मूँगा और मोती  के संगम द्वारा तैयार किया जाता  है. कमर के श्रृंगार के लिए रहपटसे ( rhuptse ) का इस्तेमाल करती है जिसका अभिकल्प कमल के फूल से प्रेरित होकर तैयार किया जाता है जो कि शरीर, वाणी व मस्तिष्क की शुद्धता का परिचायक होता  है. इसे फिरोज़ा व मूँगे की स्ट्रिंग द्वारा कमर पर धारण किया जाता है.


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सुनहरा फ़ैशन 


सुनहरे रंग तो अब तक अगर आप सिर्फ अपने स्वर्णाभूषणों के माध्यम से ही अपने लुक में शामिल कर पा  रहे हैं तो अब  समय है अपने इस नज़रिये को बदलने का. सुनहरा अर्थात गोल्डन रंग फ़ैशन की दुनिया का अब पसंदीदा रंग बन चुका है.हर  कोई वर्तमान समय में इस रंग को अपने लुक का  हिस्सा बना रहा है. फिर चाहे वह चमकता हुआ सुनहरे रंग का जैकेट हो या फिर इस रंग की एक्सेसरीज़ हों.गोल्डन रंग वर्तमान समय का सबसे स्टाइलिश रंग बन चुका है. इस रंग से संबंधित सभी शंकाओं को अपने मन से दूर कर बेहिचक इसे अपने वार्डरोब व लुक का हिस्सा बनाइये.

अगर आप अपने आभूषणों के माध्यम से अपने व्यक्तित्व को क्लासिक लुक में ढालना चाहती हैं तो गोल्डन रंग के आभूषण बेहतरीन विकल्प हैं. इसे पहनने के बाद आपको एक गंभीर पर बेहद ही खूबसूरत लुक मिलेगा.  यहाँ गोल्ड रंग के आभूषणों का अर्थ सिर्फ सोने के आभूषणों से नहीं बल्कि हर एक आभूषणों  से  हैं जिनका रंग सुनहरा हो. इस रंग की यह भी विशेषता है कि यह हर रंगत की त्वचा पर फबता है.

इसलिए आप अगर इस शंका से ग्रसित हैं कि सुनहरे रंग को अपने मेकअप  का हिस्सा वनाकर आप सबकी हँसी का पात्र बन जाएँगी तो अपनी सोच को बदल दीजिये.  गोल्डन रंग का इस्तेमाल मेकअप में बेहद संतुलित मात्रा में अपने चेहरे की खूबियों को हाईलाइट करने के लिए करें.सांवली रंगत वाले  लोग अपने मेकअप में गोल्डन रंग का इस्तेमाल कर खुद को शानदार लुक प्रदान कर सकते हैं. आँखों के मेकअप के लिए भी इस रंग का उपयोग बेहतर रहेगा.पर एक साथ गोल्ड लिपस्टिक, गोल्ड आईशैडो और गोल्ड हाईलाइटर का इस्तेमाल न करें. अगर आप सुनहरे रंग के आईशैडो का इस्तेमाल कर रही हैं तो अपने  मेकअप में कहीं और इस रंग का इस्तेमाल न करें .

इसके अतिरिक्त यदि आपको अपने मेकअप और लुक के साथ बहुत ज्यादा प्रयोग करना पसंद नहीं है लेकिन आप ग्लैमरस लुक पाना चाहती हैं तो सुनहरे रंग के फुटवियर को अपने लुक में शामिल करें.  आपने पारंपरिक परिधान पहनें हों या फिर वेस्टर्न  , सुनहरे रंग की हाई हील्स किसी भी रंग के और किसी भी स्टाइल के परिधानों के साथ बेहतरीन लुक प्रदान करेंगी. पिछले कुछ समय से गोल्ड रंग के जूते भी काफी प्रचलन में हैं.अपने बोरिंग स्पोर्टी लुक में सुनहरे रंग के स्नीकर्स यानी जूतों की मदद से आप ग्लैमर का तड़्का लगा सकती हैं.

सुनहरे रंग का प्रभाव कुछ ऐसा है कि खादी, डेनिम जैसे फैब्रिक की रंगत को भी यह निखार देता है.अगर आपकी रंगत थोड़ी गहरी है तो सुनहरे रंग के कपड़े बेफिक्र होकर पहनें.यह रंग हमेशा आपके व्यक्तित्व में चार चाँद लगाएगा. अगर आप चाहकर भी गोल्डन रंग का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पा रही हैं तो शुरुआत सुनहरे रंग के एक्सेसरीज़ से करें. गोल्ड क्लचर, सनग्लासेज़ या फिर इस रंग का हैंडबैग इस्तेमाल करना शुरु करें.गोल्डन रंग की एक भी एक्सेसरीज़ से आप अपने एक साधारण से लुक को भी स्पेशल बना लेंगी.

यदि आप पारंपरिक परिधानों की शौकीन हैं तो उसे खास लुक देने के लिए प्लेन सलवार कमीज़ के साथ सुनहरा दुपट्टा  या फिर प्लेन साड़ी के साथ सुनहरे रंग का ब्लाउज पहन सकती हैं. अपने लुक को स्पेशल बनाने के लिए इसके बाद आपको कुछ और करने की आवश्यकता नहीं होगी.
इस बात में सावधाने बरतें कि आप कभी  भी ऊपर से नीचे तक सुनहरा रंग पहनने की भूल कदापि न करें. आपके लुक में सुनहरे रंग की अति वर्जित है.

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फ़ैशन के रंग ::



पने व्यक्तित्व को निखारने हेतु व उसमें चार-चाँद लगाने के लिए हर कोई भरकस प्रयास करता है . इससे आपके आत्मविश्वास में भी इज़ाफा होता है. ऐसे में खुद के द्वारा चुने गए परिधान व फ़ैशन च्वाइसेज़ की अपनी महत्ता है. आपने जो परिधान पहने हैं , उनमें आप सहज हैं या नहीं ,यह पल भर में कोई भी जान सकता है .यदि आप भी ऐसी असहज स्थिति से रुबरु हो चुकी हैं तो फ़ैशन से संबंधित कुछ मूलभूत बातों को गांठ बाँध लें जिनकी मदद से आप  हमेशा फ़ैशन की दौड़ में आगे रहेंगी और इससे  आपके आत्मविश्वास में भी बढ़ोत्तरी होगी.

सर्वप्रथम , आपको इस तथ्य को समझना होगा कि हर परिधान हर ड्रेस पर अच्छा नहीं लगता . आप जो भी परिधान धारण कर रही हैं , वह आप पर फबे , इसके लिए सबसे पहले आपको अपनी बॉडी टाइप को समझना अति आवश्यक है. बॉडी टाइप के अनुरुप परिधान धारण करने पर यह  आपकी पर्सनैलिटी में इज़ाफा  करेंगे. यदि आप फैटी हैं और ऐसे में पियर फिगर के परिधान पहनेंगी तो यह आप पर बेहद खराब दिखेगा. वर्तमान समय में बहुत अधिक चमक- दमक वाले परिधानों का चलन नहीं है. साधारण , पर क्लासिक परिधान आप पर हमेशा जचेंगे. इसके अतिरिक्त यदि आपके शरीर का निचला हिस्सा भारी भरकम है  तो अपने वॉर्डरोब में  पेंसिल स्कर्ट आदि को जरुर शामिल करें. यदि आपके शरीर का ऊपरी हिस्सा भारी है तो ऐसे परिधान धारण करें जिसमें कंधे व कॉलर बोन नज़र आएं.  तरह - तरह के स्कार्फ भी अपनी वॉर्डरोव में शामिल करें. एक साथ ढेर सारे अलग अलग रंगों की चीजें न पहनें.

फ़ैशन के लेटेस्ट ट्रेंडस के बारे में आप विभिन्न बेबसाइट्स को खंगालती हैं, विभिन्न फ़ैशन ऐप्स व मैगज़ींस पर नज़र रखती हैं. इसके बाद भी कभी कभी ऐसी स्थिति भी उत्पन्न हो जाती है जब आप अपने लुक से खुश व संतुष्ट नज़र नहीं आतीं. इसका कारण यह है कि हर ट्रेंड हर किसी भी फबे यह आवश्यक नहीं. फ़ैशन ट्रेंड्स पर जरुर नज़र रखें पर अपने लिए किसी भी परिधान का चयन करते वक़्त आँख मूंदकर ट्रेंड को अपनाने की गलती न करें. ट्रेंड को ध्यान में रखते हुए अपनी समझ व थोड़ी सी सूझबूझ के साथ अपना एक अलग फ़ैशन स्टाइल बनाएंगी तो हमेशा ही अच्छी दिखेंगी. उदाहरण के लिए केप जैकेट आपको मॉडल्स पर अच्छा लग सकता है पर जरुरी नहीं कि यह आप  पर भी अच्छा  लगे. आप इसे टॉप स्टाइल में आजमाएं तो हो सकता है कि जींस के साथ यह आप पर खूब फबे.  अलग अलग ट्रेंडस को मिक्स एंड मैच करने की कोशिश करें.

अपनी फ़ैशन च्वाइसेज़ में क्लासिक स्टाइल्स को जरुर शामिल करें. उदाहरण के लिए सफेद टी - शर्ट और ब्लू- जींस या ब्लैक टी- शर्ट और ब्लैक लेगिंग. इन्हें आप जब भी पहनेंगी तय मानिये फ़ैशनेबल ही दिखेंगी. क्लासिक स्टाइल कभी भी आउट्डेटेड नहीं होता. पारंपरिक परिधानों की बात की जाए तो चिकनकारी सूट और बनारसी साड़ी को इसमें शामिल किया जा सकता है. वहीं वेस्टर्न वियर में काले और लाल रंग की अच्छी फिटिंग वाले परिधान , काली हाई हील्स , ब्लैक पेंसिल स्कर्ट और सफेद शर्ट को अपनी वॉर्डरोब में जरुर शामिल करें.
आपको  अपनी वॉर्डरोब को मैनेज करने की  कला भी सीखनी चाहिये. अपनी वॉर्डरोव में कपड़े उचित प्रकार से सुनियोजित तरीके से लगाएं. वॉर्डरोब में अपने परिधानों को इस प्रकार से पृथक करें कि वेस्टर्न वियर एक तरफ और पारंपरिक परिधान दूसरी तरफ हों. इसके अतिरिक्त लेगिंग, सलवार, दुपट्टे आदि अलग अलग रखें. एक्सेसरीज़ के लिए अलग से जगह बनाएं.

अपने परिधानों का उचित ख्याल रखना भी आपकी ही ज़िम्मेदारी है. परिधानों को साफ करने से पहले , उसमें लगे लेबल को ध्यान से पढ़ें और दिए गए दिशा निर्देश के अनुसार उनको घोएं. अपने परिधानों को सदैव उल्टा करके घोएं. हर परिधान को गर्म पानी से धोने की गलती न करें. ये छोटी छोटी बातें आपके परिधानों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने में मददगार साबित होंगी.

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About the Writer 



Swapnil Shukla is an Indian Jewellery Designer, Couturier ,Columnist , Design Journalist and Artist . She specializes in trends Forecasting, Lifestyle, Fashion, Gemology , Art and Astrology. After graduating from South Delhi Polytechnic for Women , New Delhi ( First with Distinction ) , she studied export management and start working as freelance designer and undertook jewellery design projects. She recently got featured on 'The Elegant Life'  as young Indian entrepreneur who successfully started with almost nothing and set a milestone in her 20s.

 She also worked as Design Columnist for many Nationalized Magazines and started the famous and highly traffic grabber fashion & Lifestyle blog ‘Swapnil Saundarya’ available in English as well as in Hindi . Swapnil has also authored two books namely ‘Gehne – The Art of wearing Jewellery’ and Fashion Pandit . She has launched her own Designer Jewellery brand namely ‘Swapnil Jewels & Arts’ and now with a desire to add new dimensions to the design and Art industry , she started ‘ Swapnil Saundarya Label ‘ with a motive to make everybody’s life beautiful and just like their Dream World . 
 In the words of Swapnil , “All my designer products are very close to my heart because all of them are intricate yet striking, bold yet feminine. They truly represents the spirit of a woman “
 ” My greatest satisfaction is a happy client “, she added. 
 Nature, Art, Various Cultures, Religion inspired Swapnil in designing.

 Swapnil says, ” Jewellery is an expression of form, shape, function creatively with techniques old & new. With revere for the traditional techniques of jewellery making, my endeavour is to showcase a collection that is conformist to the technique & non-conformist in the way it is rendered.

 Parallel to it is the collection that follows the modern techniques of jewellery making with coloured gemstones, pearls…left best to the imagination!!!

 Swapnil has worn several hats , Jewellery Designer, Fashion Consultant, Jewellery Journalist , Craft Expert, Writer and Painter. More recently she diversified into Handicraft Products as an experiment in her journey in design .

 Every experiment in her life she avers has been … “a step in my journey of growth and self discovery, a kaleidoscopic part of life that enriches the fabric of my work and existence.”


AWARDS / RECOGNITION




- Received the ‘Excellence Award 2016’ in Fine Arts from Uttar Pradesh Art Society

-The Story behind one of the most admirable products of her label namely Desi Doll has covered by India Voice News Channel , telecasted on 7th of Jan 2016






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