Revealing the Unrevealed Secrets -Part II



Revealing the Unrevealed Tips and Tricks of Fashion & Jewels || by Designer Swapnil



फ़ैशन के नव आविष्कार व ट्रेंड्स 



गर कोई आभूषण सौंदर्य में इज़ाफा करने के साथ आपके स्वास्थ  का भी ख्याल रखे तो ऐसे आभूषणों के प्रति आपका आकर्षित होना लाज़मी है. आभूषणों की दुनिया के सबसे नव आविष्कार के रुप में आज बाज़ार में बायो मैग्नेटिक आभूषण तेजी से अपनी जगह बना रहे हैं. वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति में चुम्बकों का  प्रयोग सदियों से होता आ रहा  है.प्राचीन समय में युनानी लोग चुम्बक दिमाग में लगाकर सिरदर्द ठीक किया करते थे . इसके अलावा किसी अंग के  माँस या मसल्स की सूजन को कम करने के लिए भी उस पर चुम्बक रख कर इलाज किया जाता था. वर्तमान समय में भी कई जगहों पर इस पद्धति के प्रयोग द्वारा जोड़ों के दर्द, गठिया आदि का इलाज किया जा रहा है. इसके  लिए चुम्बकीय पेंडेंट ,चुम्बकीय ब्रेसलेट ,नेकलेस, फुटवियर आदि का उपयोग हो रहा है, जिसे बायो -मैग्नेटिक अर्थात चुम्बकीय ज्वेलरी कहते हैं. इसके माध्यम से अदृश्य चुम्बकीय रेखाएं परोक्ष रुप से हमारे शरीर पर पॉज़िटिव प्रभाव डालती हैं. चुम्बकीय गुणों से युक्त ये गहने अनिद्रा, कब्ज, सिरदर्द ,गठिया , पीठ दर्द जैसी समस्याओं में राहत देने के साथ साथ  आपके व्यक्तित्व में भी चार चाँद लगाते हैं.यह आभूषण कॉलेज गोइंग युवतियों  से लेकर कामकाजी महिलाओं के बीच आकर्षण का केंद्र बने हैं.  बाज़ार में बिकने वाले अधिकतर आर्टिफीशियल आभूषणों में लेड और नुकसानदायक पेंट होते हैं,जो त्वचा में एलर्जी का कारण बनते हैं परंतु बायो- मैग्नेटिक आभूषणों में इस प्रकार के नुकसान की संभावनाएं नहीं होती हैं. वर्तमान समय में बायो मैग्नेटिक आभूषणों की इन विशेषताओं व बेहतरीन अभिकल्पों के कारण इनका क्रेज दिनों दिन बढ़्ता जा रहा है.

फ़ैशन जगत में आए दिन नए आविष्कार व एक से एक ट्रेंड्स से हमारा साक्षात्कार होता है . ऐसे में खुद को स्टाइलिश लुक देने के लिए नवीन फ़ैशन ट्रेंड्स की जानकारियों से स्वयं को अपडेट रखिये. अक्सर देखने में आता है कि महिलाओं की अपेक्षा पुरुष फ़ैशन के मामले में अधिक उलझे हुए से दिखाई देते हैं. पुरुष अपनी फैशन संबंधित उलझनों से छुट्कारा पाने हेतु अपनी वार्डरोब में कुछ खास परिधानों को शामिल कर सकते हैं.

वर्तमान समय में 90 के दशक का स्टाइल वापस आ गया है. हल्के से ऊँचे पैंट अर्थात प्लीट्स दुबारा ट्रेंड में आ गए हैं, इन्हें विंटेज स्टाइल नाम दिया गया है. अगर आप लेटेस्ट ट्रेंड को अपनाना चाहते हैं तो प्लीट्स को अपनी वार्डरोब में जरुर स्थान दें.

डेनिम का ट्रेंड भी कुछ  समय से वापस आ गया है. आप चाहें तो सफेद रंग की डेनिम जैकेट खरीदें जिसे आप अपने हर परिधान के साथ मैच कर सकते हैं. अगर आप डेनिम जींस खरीदने के बारे में विचार कर रहे हैं तो कुछ बातों का विशेष ख्याल रखें. स्टोर में उपलब्ध अलग अलग प्रकार की कट्स और ब्रांड के जींस  ट्राई करें . जींस में इस्तेमाल किए गए फैब्रिक और देश के बारे में पढ़ें. डेनिम में ऐसी जानकारी आसानी से मिल जाएंगी. वैसे यूएसए व जापान में निर्मित जींस आमतौर पर सुरक्षित माने जाते हैं. डीटेल्स पर ध्यान दें . डेनिम के वज़न को समझें. लाइट वेटेड डेनिम 340 ग्राम या उससे कम होता है , मिड वेट डेनिम 340 ग्राम से 411ग्राम का होता है और हेवी वेट डेनिम 411 ग्राम से ऊपर का होता है.

आप अपने वार्डरोब में फ्लोरल प्रिट के कपडों को भी शामिल कर सकते हैं. इसके अललावा रिप एंड रिपेयर का ट्रेंड आज भी बरकरार है. फैशन के नाम पर यह कहीं -कहीं से फेडेड और फटी हुई सी लगने वाली जींस काफी ग्लैमरस लुक देती है .

महिलाएं अपनी वार्डरोब में वर्टिकल स्ट्राइप्स प्रिंटेड परिधान , ऐसिमिट्रिक कुर्ते, हाई लो स्कर्ट्स ,सॉलिड कलर्स व वेजिस हील्स को शामिल करें.

ज़िंदगी के हर पल  का आनंद उठाएं. नवीन फ़ैशन ट्रेंड्स को अपनाएं और अपनी सुंदरता को चार चाँद लगाएं. कभी भी कोई भी सुंदर वस्तु देखने का या उसे अपनाने का अवसर मत गवाइये क्योंकि सुंदरता ईश्वर की लिखावट है. पर याद रखिए अक्सर लोग सुंदर होते हैं, दिखने में नहीं ,न ही इसमें कि वे क्या कहते हैं बल्कि इसमें जो कि वे हैं.


 ****************************************************************



नवरत्नों के प्रभावशाली गुण और आप ::


प्राचीन काल से ही भारतीय विद्वानों के अनुसार ग्रहों से नकारात्मक ऊर्जा पृथ्वी पर रहने वाले प्राणियों के लिए घातक साबित होती है परंतु नवरत्नों के प्रभाव से बचाव संभव है . नवरत्नों के विभिन्न गुणों का वर्णन रामायण और महाभारत जैसे प्राचीन महाकाव्यों में भी मिलता है . वारहमिहिर की वृहतसंहिता में नवरत्नों के ज्योतिषीय प्रभावों  का उल्लेखन किया गया है .इसके अलावा गरुण पुराण में इन रत्नों के पूर्ण वर्णन के साथ इनको घारण करने के सही ढंग का वर्णन 13 अध्यायों में किया गया है .वैदिक काल में अगस्त्य मुनि ने स्कंद पुराण में इन रत्नों के प्रयोग का पक्ष लिया गया है . लेकिन सबसे पहले प्रश्न यह उठता है कि रत्न हैं क्या और ये किस प्रकार हमारे जीवन को प्रभावित कर सकते हैं ? तो आइये जानते हैं नवरत्नों के चमत्कारी व लाभदायक गुणों व प्रभावों के संदर्भ में :-


रत्न एक किस्म के पत्थर ही होते हैं . परंतु सभी पत्थर रत्न नहीं कहे जा सकते हैं . कुछ पत्थर या पदार्थों के गुण ,चरित्र एवं विशेषताएं ऐसी होती हैं कि उन्हें देखते ही रत्न कह दिया जाता है जैसे हीरा , मणिक्य ,नीलम , पन्ना , पुखराज आदि को लोग रत्न के नाम से पुकारते हैं . वास्तव में हैं तो ये पत्थर ही परंतु ये एक प्रकार के बेशकीमती पत्थरों की श्रेणी में आते हैं ,जिनको अंग्रेज़ी भाषा में प्रीशियस स्टोन कहते हैं . रत्न भाग्य परिवर्तन में भी लाभदायक होते हैं .ज्योतिष शास्त्र के साथ साथ चिकित्सा विज्ञान  में भी रत्नों के चमत्कारी प्रभाव दृष्टिगोचर होते हैं.

प्राचीनकाल से आज तक लोगों के बीच जिन नवरत्नों की अधिक चर्चा होती आई है , वे इस प्रकार है :-

- माणिक
- मोती
- मूंगा
- पन्ना
- पुखराज
- हीरा
- नीलम
- गोमेद
- लहसुनिया


इन नवरत्नों में अनेक चमत्कारी गुण विद्यमान हैं. यदि सामान्य लाभकारी गुणों की बात करें तो जहाँ माणिक व्यक्ति में प्रायोगिक ज्ञान ,स्वास्थ्य व विद्वता बढ़ाता है, तो मोती भावनाओं पर नियंत्रण कर जीवन में पवित्रता को कायम रखता है . मूंगा, ईर्ष्या द्वेष से रक्षा करता है व सफलता प्रदान करता है. पन्ना, बुद्धि को बढ़ाने के साथ साथ जीवन की परेशानियों को भी दूर करता है .हीरा शरीर का ऊर्जा स्तर बढ़ाता है . गोमेद, राहु के प्रभाव को समाप्त कर सफलता व समृद्धि दिलाता है . लहसुनिया , स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान कर सौभागय बढ़ाता है .

नवरत्नों के संदर्भ में मान्यता यह भी है कि  नवग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को समाप्त करने में नवरत्न अत्यंत लाभदायक सिद्ध होते हैं. यदि व्यक्ति अपनी जन्मतिथि अर्थात अपने जन्मांग से अवगत हो तो निम्न तालिका के अनुसार रत्न का चयन कर धारण करना लाभकारी सिद्ध हो सकता है .

  जन्मतिथि                  स्वामी             संबंधित रत्न 

01,10,19,28                  सूर्य                माणिक
02,11,20,29                  चंद्र                 मोती
03,12,21,30                  बृहस्पति         पीला पुखराज
04,13,22,31                  यूरेनस            गोमेद
05,14,23                        बुध                पन्ना
06,15,24                        शुक्र               हीरा
07,16,25                        नेपच्यून          लहसुनिया
08,17,26                        शनि                नीलम
09,18,27                        मंगल                मूंगा



बहुत से लोग ऐसे भी होते हैं जिनकी न तो जन्मकुंडली होती है  और न ही उन्हें अपनी जन्मतिथि एवं समय की जानकारी होती है परंतु ऐसी स्थिति में यदि व्यक्ति को अपने जन्ममाह के बारे में  जानकारी  हो तो अंग्रेज़ी माह से संबंधित रत्न धारण कर लाभ उठाया जा सकता है .


अंग्रेज़ी माह            रत्न                   

जनवरी               मूंगा
फरवरी                कटैला
मार्च                    बैरुज
अप्रैल                  हीरा
मई                     पन्ना
जून                    सुलेमान
जुलाई                 माणिक
अगस्त                गोमेद
सितंबर               नीलम
अक्टूबर              सुनैला
नवंबर                 रुबी स्टार
दिसंबर                गोमेद


इन सब जानकारियों के अतिरिक्त बेहद ध्यान देने योग्य बात यह है कि यदि आप रत्न धारण कर इनके प्रभाव द्वारा सौभाग्य वृद्धि चाहते हैं तो सर्वप्रथम ज्योतिष  शास्त्री से अवश्य परामर्श लें क्योंकि उचित सलाह के अभाव में रत्न धारण करना अनिष्टकारक भी हो सकता है .अत: रत्नों के सकारात्मक व अनुकूल लाभकारी प्रभाव के लिए शुभ समय व मुहूर्त व सही पूजन विधि द्वारा ही रत्न धारण करें.


***********************************************************************



चोकर का साज , लगाए सौंदर्य में चार - चाँद .......



र्तमान समय में आभूषण हम सभी के व्यक्तित्व का अभिन्न अंग बन चुके हैं. स्टाइलिश दिखने के लिए सिर्फ फैशनेबल कपड़े पहनने से बात नहीं बनती , आपके आभूषण भी ऐसे हों जो आपके सौंदर्य को और अधिक निखारें. यदि आप भी कम से कम आभूषण धारण कर आकर्षक दिखने की ख्वाहिश रखती हैं तो चोकर को अपनी ज्वेलरी वार्डरोब का हिस्सा जरुर बनाएं.

आभूषण जगत में आज के समय में चोकर की बढ‌ती लोकप्रियता को नज़रअंदाज करना मुश्किल है. चोकर आपके आम लुक को भी बेहद खास बना सकता है. पर इसे धारण करने व अपने व्यक्तित्व के अनुरुप इसका चयन करना भागीरथ प्रयास है. आपकी इसी उलझन को सुलझाने के लिए आइये जानते हैं चोकर के संदर्भ में कुछ महत्वपूर्ण बातें

एक समय में भारतीय परंपरागत पोशाक के साथ पहना जाने वाला चोकर अब वेस्टर्न ड्रेस के साथ ज्यादा बेहतरीन लगता है. विदेशों में भी इनकी बेहद माँग है. वैसे कई बार चोकर को सलवार सूट पर स्टोल की भाँति भी इस्तेमाल में लाया गया है परंतु ऐसी स्थिति में इसमें पीछे की तरफ वाली चोकर की बेल्ट आगे की ओर रखी जाती है.

चोकर उन पर सबसे अधिक फबता है जिनकी गर्दन पतली और कंधे भी सुंदर आकार में हों. पतली गर्दन पर एक इंच चौड़ा चोकर फबता है. अगर आपकी गर्दन की चौड़ाई ज्यादा है तो आप एक सेंटीमीटर चौड़ा चोकर भी धारण कर सकती हैं.

चोकर एक ऐसा फैशन ट्रेंड है जो न्यूट्रल रंगों के साथ बेहद आकर्षक लगता है. न्यूट्रल रंग का अर्थ उन रंगों से है जो किसी भी रंग के साथ मैच हो जाएं जैसे भूरा, काला, क्रीम, नीला आदि.

मुगलों के समय से जेवर के तौर पर पहना जाने वाला चोकर अब फैब्रिक के साथ ट्रेंडी हुआ है. इस समय कॉटन प्रिंट फैब्रिक , हल्के वज़न वाले डेनिम  फैब्रिक , क्रोशिया और लेस से बने चोकर पसंद किए जा रहे हैं. इसके आलावा आप चोकर को चेन के साथ मैच कर सकती हैं. ऐसा करते वक़्त आप अलग -अलग लंबाई की चेन का चुनाव करें. साथ में छोटे पेंडेंट को भी प्रयोग में ला सकती हैं.

आप चाहें तो घर पर आसानी से उपलब्ध हो जाने वाले रिबन व लेस से भी चोकर बना सकती  हैं. चोकर पहनते समय अपनी पोशाक के गले के स्टाइल का ध्यान रखें . वी- नेक के परिधानों के साथ चोकर अधिक प्रभावशाली लगता है. यदि चोकर धारण कर रही हैं तो इसके साथ अन्य आभूषण कम ही पहनें . चोकर के साथ कभी भी भारी ईयररिंग न पहनें.

आप चोकर को रेट्रो स्टाइल के साथ भी मैच कर सकती हैं. मसलन गोल फ्रेम के चश्मे, हाई वेस्ट जींस और गहरे रंग की लिपस्टिक के साथ इसे पहनें. चोकर को आप अपने फार्मल कपड़ों के साथ भी पहन सकती हैं.

आज के दौर में लोग कम से कम एक्सेसरीज़ पहनकर खूबसूरत व स्टाइलिश दिखना चाहते हैं . चोकर आज के दौर की महिलाओं की इस डिमांड को पूर्ण करने में सक्षम है. और जब यह कॉटन जैसे आरामदायक फैब्रिक में भी उपलब्ध है तो इसको पसंद करने की एक और वजह मिल जाती है. चोकर अकेले ही अपने बल पर आपकी खूबसूरती व लालित्य में इज़ाफा करने के साथ - साथ उसमें चार - चाँद लगा सकता है.



****************************************************************************



फ़ैशन के विभिन्न अंदाज़ .........

खुद को फ़ैशन के नए ट्रेंडस के अनुसार सजाने व संवारने से न केवल खूबसूरती में इज़ाफा होता है बल्कि आत्मविश्वास में भी बढ़ोत्तरी होती है . खुद को स्टाइलिश व आकर्षक बनाने के लिए फ़ैशन के नए ट्रेंड्स को ध्यान में रखते हुए अपने वार्डरोब में नई चीज़ों को शामिल करें.

एवरग्रीन फ़ैशन के अंतर्गत स्ट्राइप्स डिज़ाइन से लैस परिधानों को अपनी वॉर्डरोब में शामिल करें. आप अपने लिए चटक रंगों की मोटी पतली , आड़ी तिरछी और सीधी धारियों के परिधानों का चयन कर सकती हैं. स्ट्राइप्स पैटर्न में आप अपने लिए स्कर्ट , पलाजो, मैक्सी ड्रेस आदि का चयन कर सकती हैं. आप अपनी वॉर्डरोब में विभिन्न ज्यामितीय स्टाइल के परिधानों को  भी शामिल कर सकती हैं. अपने लिए कपड़ों का चयन करते समय उसके कट्स और डिज़ाइन का खासतौर से ध्यान रखें. ट्रेंडी व फ़ैशनेबल दिखने के लिए अपनी वॉर्डरोब में ऐसी चीज़ों को शामिल न करें जो आप पर न फबती हों. मसलन, अगर आप मांसल  हैं, तो अपने लिए आड़ी धारियों वाले परिधानों का चयन कदापि न करें. आपकी लंबाई कम है तो अपने वॉर्डरोब में खड़ी धारियों वाले कपड़ों को जरुर शामिल करें.

परंपरागत परिधानों से अलग स्पोर्टी परिधान भी वर्तमान समय में लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हैं. अपने व्यक्तित्व को एक अलग अंदाज़ में ढालने के लिए आप जींस, स्वेट शर्ट , स्पोर्ट्स शूज़ ,स्टाइलिश श्रग आदि को अपनी वॉर्डरोब में जरुर स्थान दें. इन्हें आप मिक्स एंड मैच करके भी पहन सकती हैं. टाइट फिटेड  पैंट के साथ ढीले ढाले टॉप और कुर्ती को भी धारण कर अपने व्यक्तित्व में चार चाँद लगा सकती हैं.

फ़ैशन जगत में हल्के और  नाजुक रंग हैं सदाबहार . अर्थात इन रंगों का फ़ैशन कभी भी कम नहीं होता . हल्के नीले, लेमन, बेबी पिंक और सफेद रंग को अपनी वॉर्डरोब का हिस्सा जरुर बनाएं. आसमानी रंग की क्रिंकल्ड( सिलवट ) स्कर्ट के साथ नीले रंग की धारीदार टॉप आपको आकर्षक लुक प्रदान करेंगे. नियॉन और पेस्टल शेडस भी सदाबहार हैं. हल्के रंग के परिधान न सिर्फ आपके सौंदर्य में चार चाँद लगाएंगे बल्कि आँखों को भी सुकून देंगे , इसलिए हल्के रंग के कुर्ते व लैगिंग्स ,स्कर्ट टॉप, मिडी, जींस शर्ट आदि को अपनी वॉर्डरोब में शामिल करें.

हल्के रंगों के अतिरिक्त चटकीले रंगों की लुभावनी रंगत को भी हम नज़रअंदाज़  नहीं कर सकते .चटकीले रंगों को अपनी वॉर्डरोब में शामिल करने के साथ इस बात का विशेष ध्यान रखें कि उसमें सॉलिड रंगों के साथ साथ फ्लॉरेसेंट रंग भी हों. फ्लॉरेसेंट स्कार्फ़ , स्टोल या ऐसी ही अन्य एक्सेसरीज़  की मदद  से आप अपने सादे से परिधान को भी खास बना सकती हैं.

इसके अतिरिक्त अक्सर महिलाएं आँखों में लगे काजल के फैलने की समस्या से परेशान रहती हैं. ऐसे में काजल को फैलने से  बचाने के लिए काजल लगाने से पहले काजल लगाने वाली जगह पर फेस पाउडर लगाएं और काजल लगाने के बाद एक बार फिर से फेस पाउडर लगाएं, जिससे काजल में मौजूद अतिरिक्त नमी को पाउडर सोख ले. इसके साथ ही आप ब्लैक आई शैडो का भी इस्तेमाल कर सकती हैं.  काजल के ऊपर काले रंग का शैडो लगाएं , इससे काजल का काला रंग भी हल्का नहीं पड़ेगा और काजल फैलेगा भी नहीं.  इसके अलावा काजल लगाने की सही तकनीक का भी ख्याल रखें. काजल हमेशा बाहर की तरफ से शुरु करते हुए भीतर की ओर लगाएं. हेजी ( धुंधले ) लुक के लिए काजल के दो तीन स्ट्रोक एक ही जगह पर लगाएं .कभी भी अंदर की ओर आँखों की निचले हिस्से में बहुत ज्यादा काजल न लगाएं, क्योंकि अक्सर इसी हिस्से से काजल ज्यादा फैलता है . इन बातों को ध्यान में रख कर अगर आप काजल लगाएंगी तो आपका काजल कभी नहीं फैलेगा.



***************************************************************************



आभूषण ::  इतिहास के पन्नों से...........


भूषण का प्रयोग मुख्यतः महिलाएँ खुद को संवारने में करती रही हैं। आदिवासी समुदाय में इनका महत्व बुरी आत्माओं को दूर भगाने के लिए है। इसलिए देवी-देवताओं की मूर्तियों के आकार वाले ताबीज़ों एवं लटकनों का प्रयोग भी होता आ रहा है। अलग-अलग अंगों के लिए इस प्रकार के आभूषणों की पूरी क़िस्म मौज़ूद है।

दुनिया को अपनी चमक दमक से आकर्षित करने वाले आभूषण, गंगा जमुनी तहज़ीब वाले हमारे देश भारत में लगभग हर धर्म से जुड़ी परम्पराओं का अभिन्न अंग हैं। हमारे मुल्क में ज़ेवर सिर्फ़ आभूषण नहीं बल्कि रीति-रिवाज भावनाओं और आन बान शान का प्रतिबिम्ब हैं।आभूषणों के दीवाने देश भारत में ज़ेवरात के प्रति आकर्षण अब भी कम नहीं हुआ है हालांकि पसंद और तौर तरीकों में बदलाव ज़रूर हुआ है।

 कभी सोने की चिड़िया  कहा जाने वाला हमारा देश  भारत आज भी सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता है और मुल्क का आभूषण उद्योग सबसे तेज़ी से विकास कर रहे क्षेत्रों में शुमार किया जाता है।कभी सोने-चाँदी, हीरे ज़वाहरात के ज़ख़ीरे को अपनी शान और ताक़त के प्रदर्शन का ज़रिया मानने की राजा महाराजाओं की धारणा वाले देश में शादी ब्याह तथा अन्य रस्मों में आज भी आभूषण को सबसे शानदार तोहफा माना जाता है।

 भारत में श्रृंगार का अभिन्न अंग और महिलाओं की चाहत समझे जाने वाले आभूषणों की चमक कभी फीकी नहीं पड़ी। नारियाँ ज़्यादातर आभूषणों से प्रेम करती हैं। हमारे शास्त्रों ने भी नारियों के लिये विविध प्रकार के रत्नाभूषणों आदि की व्यवस्था की है, पर प्रत्येक आभूषण के अन्तर्गत एक गुण, सन्देश छिपा है।

आभूषणों का  इतिहास  5000 वर्ष  पुराना है. प्राचीन समय में सिंधु घाटी सभ्यता के लोग गहनों के निर्माण की कला से परिचित  थे . उनके द्वारा बनाए गए गहने  बेहद सौंदर्यपरक थे . उस समय स्त्रियाँ व पुरुष दोनों आभूषण धारण करते थे. आभूषणों में हार, कंगन, अंगठी,  कर्णफूल , भुजबंध,  हंसली,  कड़े,  करधनी और पायजेब विशेष उल्लेखनीय हैं.  कई लड़ों वाली करधनी और हार भी हड़्प्पा और मोहनजोदड़ो के उत्खनन द्वारा प्राप्त हुए.  आभूषण सोने, चाँदी, पीतल, ताँबा, हाथीदाँत और हड्डियों के बने होते थे.  अमीर वर्ग के लोग बहुमूल्य घातुओं और जवाहरातों के आभूषण धारण करते थे.

प्राचीन काल में  शासकों के लिए गहने शक्ति, समृद्धि और प्रतिष्ठा का प्रतीक थे लेकिन भारतीय महिलाओं के लिए आभूषण, उनके सौंदर्य में इज़ाफा करने के साधन थे. कई भागों में इन्हें सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा के रुप में  देखा जाता था । प्राचीन काल में भारत दुनिया में मोती का सबसे बड़ा निर्माता और निर्यातक था।

दक्षिण भारत, मध्य भारत, बंगाल और ओडिशा के मंदिरों से भी तत्कालीन आभूषण कला की जानकारी प्राप्त होती है. भरतनाट्यम जैसे  विभिन्न नृत्यों  के प्रसार के बाद नर्तकों व नृत्यांगनाओं ने मंदिरों में स्थापित प्रतिमाओं के आभूषणों की नकल पहननी शुरु की. इस प्रकार एक विशिष्ट गहनों की शैली दुनियाभर में प्रख्यात हुई जिसे टेम्पल ज्वेलरी के नाम से जाना जाता है . इस शैली के आभूषण आम तौर पर बड़े होते थे. इस शैली में सोने पर  विभिन्न देवी-देवताओं के चित्रों को उकेरा जाता था और  मोती की स्ट्रिंग के साथ धारण किया जाता था। चमकदार माणिक और पन्ने का भी  प्रयोग होता था. कुछ पेंडेंट गोपुरम या मंदिर के प्रवेश द्वार के  डिजाइन के समान बनाए जाते थे। इस तरह के अभिकल्प  , मानव,  देवताओं और ब्रह्मांड के मध्य विशेष संबंध को दर्शाते थे। टेम्पल ज्वेलरी की चमक आज भी बरकरार है व दुनियाभर में इस शैली के आभूषणों की माँग है .

मुगल शासन के आगमन ने भारतीय आभूषणों को एक नया आयाम दिया । भारतीय और मध्य एशियाई शैलियों के संयोजन के परिणामस्वरूप एक विशिष्ट शैली उभर कर सामने आई जिसे  पहले कभी नहीं देखा गया  था। मुगल  शासन के दौरान गहने बनाने में मौजूदा परंपराओं के विकास के साथ-साथ अभिनव तकनीकों के निर्माण के लिए मंच प्रदान किया गया। प्राचीन भारतीय अभिकल्पों में धीरे-धीरे विभिन्न ज्यामितीय, पुष्प और प्रकृति-प्रेरित डिजाइनों को शामिल किया गया। मुगल डिजाइनों में पन्ना, माणिक और हीरे का आदर्श प्रयोग किया गया । पन्ना मुगल दरबार में  बहुत लोकप्रिय था और इस  काल  के  आभूषणों में  इसका अधिकतम   उपयोग देखने को मिलता है। जड़ाऊ गहने, कुंदन कारी , मीनाकारी जैसी बेमिसाल आभूषण निर्माण कला भी भारतीय आभूषणों की शान में इज़ाफा करने लगीं.

प्राचीन काल से लेकर वर्तमान परिप्रेक्ष्य में आभूषणों के महत्व में कमी नहीं आई. समय के साथ साथ आभूषण निर्माण की तकनीकों में भी बदलाव आए पर लोगों का आभूषणों के प्रति लगाव कम नहीं हुआ. आज भी विभिन्न स्थानों पर विभिन्न आभूषणों का  महत्व है .  उदाहरण के लिए, आदिवासी एक विशेष प्रकार की बिंदी का प्रयोग करते हैं। चांदी से बनी यह बिंदी पूरी ललाट को ढके रहती है। सौराष्ट्र तथा महाराष्ट्र में चांदी की बनी हुई 'हंसली' का प्रयोग गर्दन की सुंदरता के लिए किया जाता है। राजस्थान और पंजाब में इनकी अपेक्षा कुछ हल्की हंसली पहनी जाती हैं। कुल्लू में नाक में महिलाएँ 'नथ' या 'बुलाक' पहनती हैं। कुल्लू और किन्नौर में चांदी की बजाय पीपल के पत्ते से बना एक आभूषण 'पीपल पत्र' माथे पर पहना जाता है। कश्मीर में कानों को सजाने के लिए 'तारकांता' तथा 'पानकांता' का प्रयोग होता है। उड़ीसा और केरल के स्वर्णाभूषण भी काफ़ी प्रसिद्ध हैं।



********************************************************************



सदाबहार  डेनिम ..........


गर आप  उन  लोगों में शामिल हैं जो फैशन ट्रेन्ड्स पर  बहुत ज़्यादा  नज़र  नहीं रखते  हैं  तो आपके लिए एक  खुशख़बरी  है. अब  आप  अपनी  इस  आदत  को  बरकरार  रखते  हुए भी फेशनेबल  दिख  सकती  हैं. ऐसा  इसलिए क्योंकि डेनिम एक ऐसा फेब्रिक है जिसे हर मौसम में और हर ऐज ग्रुप में काफी पसंद किया जाता है. डेनिम एक ऐसा कपड़ा है, जिसे पूरे साल पहना जा सकता है और अलग-अलग अंदाज अपनाकर इसमें और स्टाइलिश दिखा जा सकता है.

डेनिम ड्रेसिंग ट्रेंड्स:  बोरिंग डेनिम लुक को ऐसे बनाएं दिलचस्प -

1.हाई वेस्ट जींस

हाई वेस्ट जींस एक बार फिर फैशन में हैं। इन्हें सफेद रंग की टीशर्ट के साथ टीम-अप करें। गर्मियों में अपना आउटफिट और भी दिलचस्प बनाना है तो साथ में रंगीन जूते और फंकी जूलरी पहनें।


2.डबल डेनिम

डेनिम शर्ट और डेनिम जींस एक साथ कैरी करना डबल डेनिम कहलाता है। सबसे खास बात ये कि आपके पास चाहे जिस भी शेड की शर्ट और जींस हो, अगर आप एक साथ पहनेंगे तो भी जंचेंगे। वैसे, आमतौर पर सेफ लुक के लिए जींस से एक-दो शेड हल्के रंग की शर्ट पहनें।


3.डेनिम जंपर

छुट्टियों के दौरान या दोस्तों के साथ गेट टुगेदर के लिए कैजुअल और फैशनेबल लुक चाहिए तो डेनिम जंपर से बढ़िया कुछ नहीं हो सकता। इन्हें आप स्ट्राइप्स वाले क्रॉप टॉप या प्लेन टीशर्ट के साथ पहनें।


4. डेनिम जैकेट

अगर आप अपने आम टी-शर्ट-जींस वाले गेटअप से बोरिंग हो गए हैं, तो ऊपर से डेनिम जैकेट पहनें, प्रॉब्लम सॉल्व। ये काम आप लॉन्ग स्कर्ट और लेस टॉप के कॉम्बिनेशन के साथ भी कर सकते हैं।


5.डेनिम ड्रेस

डेनिम ड्रेस या फ्रॉक हर महिला के वॉर्डरोब में होना चाहिए। इसके साथ स्टेटमेंट नेकपीस या प्रिंटेड स्कार्फ जरूर कैरी करें।

डेनिम के साथ सबसे बड़ी सहूलियत ये है कि इन्हें मेनटेन करने में भी ज्यादा परेशानी नहीं होती है। अगर आयरन नहीं भी किया तो भी चलेगा। इसके  अतिरिक्त डेनिम  फैशनेबल और स्मार्ट दिखता है और ऊंची हील की जूतियों और सैंडिल के साथ पहनने पर शरीर को सही आकार में दिखाने के साथ ही व्यक्तित्व को आकर्षक बनाता है. गर्मियों में सफेद टैंक टॉप के साथ डेनिम पहनें और साथ ही न्यूड हील्स पहने, जो आपको अलग लुक देगा. डेनिम हमेशा फैशन में रहता है और इसे पार्टी में भी पहना जा सकता है. इसे काले रंग के टैंक टॉप या स्पेगेटी टॉप और स्टलेटोज हील्स के पहना जा सकता है, जो आपकी खूबूसरती में चार चांद लगाएंगे.डेनिम शार्ट पैंट को आप सफेद स्नीकर और टैंक टॉप या ढीले शर्ट के साथ पहन सकती है, जो इन गर्मियों में आपको कूल लुक देंगे.

यदि आप डेनिम जींस को अपनी वार्डरोब में शामिल करना चाहती हैं तो कुछ  विशेष बातों  पर  गौर  फरमाएँ | डेनिम जींस खरीदते समय  केवल ब्रांड और फिटिंग का ख्याल रखना काफी नहीं है। बल्कि आपको इनसे जुड़ी बेसिक जानकारी भी रखनी होगी।


ब्वॉयफ्रेंड जींस

नाम से ही ज़ाहिर है, इनकी फिटिंग लूज होती है। हालांकि इनका लुक स्ट्रेट जींस जैसा ही होता है। आमतौर पर कैजुअल लुक और फंकी लुक के लिए लड़कियां इन्हें एंकल से थोड़ा ऊपर तक मोड़ लेती हैं।

टिप: अगर आप दुबली पतली हैं तो डार्क शेड और 'डिस्ट्रेस्ड' ब्वॉयफ्रेंड जींस पहनें। लाइट शेड पहनने से आपके हिप्स और भी फ्लैट नज़र आएंगे।  मिड वॉश ब्वॉयफ्रेंड जींस के साथ प्लेन गंजी और जैकेट पहनें।


 स्किनी जींस

हिप से लेकर एंकल तक यह जींस स्किन फिट होती है। महिलाओं के बीच यह ज्यादा लोकप्रिय है। इन्हें शर्ट से लेकर कुर्ते तक के साथ पहना जा सकता है।सबसे खास बात यह कि ये हर कद काठी के इंसान पर जंचती है।
टिप: अगर मोटापा छुपाना हो, तो इस लिहाज से भी यह जींस बेस्ट ऑप्शन है।


बूट कट जींस

यह जींस हिप से लेकर एंकल तक हल्की ढीली होती है। हालांकि एंकल पर इसकी चौड़ाई हिप से ज्यादा होती है।
टिप: ट्रैवल के दौरान बूट कट जींस पहननी चाहिए, यह ज्यादा आरामदायक होती हैं।


स्ट्रेट-लेग जींस/सिगरेट लेग जींस

हालांकि ये काफी हद तक स्किनी जींस जैसी ही होती हैं। फर्क बस यह है कि स्ट्रेट लेग जींस घुटनों के नीचे उतनी फिटिंग वाली नहीं होती, जितनी चुस्त एक स्किनी जींस होती है।
टिप: गर्मियों में स्किनी जींस से बेहतर स्ट्रेट लेग जींस होती है क्योंकि ये पसीने की वजह से आपके पांव में चिपकेंगी नहीं।


फ्लेयर्ड जींस

पुराने जमाने की बेल बॉटम्स याद हैं आपको? फ्लेयर्ड जींस बिलकुल वैसी ही होती हैं, घुटनों तक चुस्त और उसके बाद ढीली ढाली ।
टिप: गर्मियों में गंजी के साथ डार्क शेड की फ्लेयर्ड जींस पहनें।


हाई वेस्ट जींस

इनकी लेंथ कमर से नहीं बल्कि नाभी से शुरू होती है। कमर की खूबसूरती को उभारने के लिए यह सबसे बढिया ऑप्शन है। अगर आप बिना किसी 'स्किन शो' के क्रॉप टॉप पहनना चाहती हैं,तो हाई वेस्ट जींस के साथ पहनें।


लो वेस्ट जींस

इनकी लेंथ हिप्स से शुरू होती है। इसलिए अगर आपको अपने टोन्ड एब्स या कमर की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करना है, तो लो वेस्ट जींस से बढ़िया कुछ भी नहीं। 90 के दशक में इनका क्रेज़ था। लेकिन पेरेंट्स को न जाने क्यों इस जींस से आपत्ति है!


रफ एंड टफ लुक की बात हो या कैजुअल फंकी लुक, डेनिम सबसे सेफ ऑप्शन है। इसलिए हर किसी के वॉर्डरोब में डेनिम का कोई न कोई आइटम जरूर होता है।

हालांकि, कुछ वक्त पहले तक डेनिम का मतलब केवल जींस माना जाता था। लेकिन जैसे जैसे लोगों ने फैशन को गंभीरता से लेना शुरू किया, डेनिम को फैब्रिक का दर्जा मिल गया। आलम ये है कि अब लोगों के वार्डरोब में डेनिम की जींस के अलावा जैकेट, स्कर्ट, शर्ट को भी जगह मिल गई है। लेकिन अहम बात ये है कि हम इसे कैरी कैसे करते हैं।



***************************************************************************




Fabric of Freedom :: Khadi


'फैब्रिक ऑफ फ्रीडम' : खादी 



जो न बदले वह फैशन ही क्या । पल-पल बदलती शैली ही फैशन की असली ताकत है। खादी आजादी की लड़ाई के वक्त से जनता के बीच लोकप्रिय है। पर इसे जनप्रिय बनाने के लिए समय-समय पर बदलाव करने पड़ते हैं। फैशन के इस दौर में खादी भी निखर रही है, संवर रही है।

बदलते फैशन के अनुरूप खादी को लोगों और उद्योग में प्रासंगिक बनाने के लिए प्रयोग किये जा रहे हैं । इसके लिए कई संभावनाएं तलाशी जा रही हैं । नए-नए डिजाइनरों को जोड़ा जा रहा है। खादी के कपड़े पर हाथ का काम करा कर इसे समकालीन लुक और डिजाइनर बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। कोशिश की जा रही हैं कि खादी का रूप-रंग बदल जाए ।कई फैशन डिजाइनरों का कहना है कि खादी को भी खूब फैशनेबल और डिजाइनर बनाया जा सकता है। इस कपड़े के साथ रंगों का प्रयोग कर आकर्षक डिजाइन बनाए जा सकते हैं। हाल ही में खादी में भी आकर्षक डिजाइनों के साथ अलग-अलग  रंगों में पारंपरिक परिधानों में तेजी आई है और यह लोगों को आकर्षित भी कर रही है।

खादी का अपना एक स्थान बनाना, स्थापित करना और अधिक महंगा बाजार बनाना कठिन नहीं है। हालांकि जब किफायती बाजार का सवाल आता है तब कहानी थोड़ी अलग हो जाती  है । खादी में सभी खूबियां हैं क्योंकि वैश्विक उपभोक्ता परिस्थिति के अनुकूल विषय को लेकर काफी सजग है जो कम लागत, रख रखाव में कम खर्च और प्राकृतिक तत्वों से हाथ से बने होने के साथ कम कार्बन तत्वों से युक्त होने से जुड़े हों।

नये रंग रूप में खादी व्यापक वर्ग तक पहुंच बना रही है जिनमें पारंपरिक कुर्तों से लेकर अनोखो रंगों के संयोजन से युक्त परिधान शामिल हैं।  इसमें शादी से जुड़े कलेक्शन से लेकर पारंपरिक साड़ियों और जरी के काम वाले कपड़े भी शामिल हैं।

युवाओं के लिए देशप्रेम की भावना काफी विस्तृत है। वे सिर्फ भावनाओं में नहीं, बल्कि फैशन में भी अपने देश को अहमियत देते हैं। यही कारण है कि खादी पहनने के लिए उन्हें किसी बहाने या फिर मोर्चे की जरूरत नहीं होती । इस 'फैब्रिक ऑफ फ्रीडम' को वे दिल से लगाए हुए हैं। उन्हें खादी के जरिए स्टाइलिश बनने में कोई दिक्कत नहीं हो रही । आज के युवाओं को काफी  भाग-दौड़ में समय गुजारना होता है इसलिए खादी जैसा फैब्रिक उनके काफी मुफीद है । कोई भी मौसम हो, स्कूल-कॉलेज हो या घर , यह काफी ट्रेंडी और हॉट फैब्रिक है । खादी का स्टाइलिश और ट्रेंडी बनने का ही नतीजा है कि यह आज कुरते-पजामे तक ही सीमित नहीं है। खादी के जैकेट, स्कर्ट, शर्ट, ट्यूनिक, ट्राउजर्स, वेस्टर्न टॉप, स्कर्ट्स आदि भी बाजारों में उपलब्ध हैं।


अच्छे टेक्सचर के साथ-साथ मॉडर्न कट्स, अच्छी फिनिशिंग और  खूबसूरत स्टिचेज के कारण आज यह विश्वभर के युवाओं में पॉपुलर है। आज स्पेन के इबिजा आइलैंड की आधी आबादी खादी पहनती है।  दरअसल, फैशनपरस्त युवाओं ने इसे यों ही सर पर नहीं बिठाया है। नई पीढ़ी को ध्यान में रखकर पुरानी खादी में कई बदलाव किए गए हैं। खादी के फैलने, सिकुड़ने और रंग फीके पड़ने की समस्या को ध्यान में रखकर नेचुरल फैब्रिक में थोड़े सिंथेटिक फैब्रिक मिलाए गए। रंगों में भी काफी परिवर्तन किए गए ।   फिर कशीदाकारी और शिल्पकारी के   काम से इसे रॉयल टच दिया गया।  खादी युवाओं के वार्डरोब का ही नहीं, लाइफ स्टाइल का भी अहम हिस्सा है। खादी ग्रामोद्योग के हैंडबैग, जूते, चप्पल आदि भी युवाओं को भा रहे हैं। इसी तरह धार्मिक चित्रों और प्रतीकों से सजे व शीशे की खूबसूरत कढ़ाई वाले बैग, बटुए, बेल्ट भी इन दिनों काफी प्रचलित हैं।


पीएम श्री मोदी ने खादी  को लोकप्रिय बनाने के लिए एक मंत्र दिया - ‘खादी देश के लिए, खादी फैशन के लिए’ - इसके पीछे विचार ये है कि खादी राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक बने, साथ ही एक फैशन स्टेटमेंट भी बने, जो युवाओं के बीच लोकप्रिय हो सके।



*********************************************************************




About the Writer 




Swapnil Shukla is an Indian Jewellery Designer, Couturier ,Columnist , Design Journalist and Artist . She specializes in trends Forecasting, Lifestyle, Fashion, Gemology , Art and Astrology. After graduating from South Delhi Polytechnic for Women , New Delhi ( First with Distinction ) , she studied export management and start working as freelance designer and undertook jewellery design projects. She recently got featured on 'The Elegant Life'  as young Indian entrepreneur who successfully started with almost nothing and set a milestone in her 20s.

 She also worked as Design Columnist for many Nationalized Magazines and started the famous and highly traffic grabber fashion & Lifestyle blog ‘Swapnil Saundarya’ available in English as well as in Hindi . Swapnil has also authored two books namely ‘Gehne – The Art of wearing Jewellery’ and Fashion Pandit . She has launched her own Designer Jewellery brand namely ‘Swapnil Jewels & Arts’ and now with a desire to add new dimensions to the design and Art industry , she started ‘ Swapnil Saundarya Label ‘ with a motive to make everybody’s life beautiful and just like their Dream World . 
 In the words of Swapnil , “All my designer products are very close to my heart because all of them are intricate yet striking, bold yet feminine. They truly represents the spirit of a woman “
 ” My greatest satisfaction is a happy client “, she added. 
 Nature, Art, Various Cultures, Religion inspired Swapnil in designing.

 Swapnil says, ” Jewellery is an expression of form, shape, function creatively with techniques old & new. With revere for the traditional techniques of jewellery making, my endeavour is to showcase a collection that is conformist to the technique & non-conformist in the way it is rendered.

 Parallel to it is the collection that follows the modern techniques of jewellery making with coloured gemstones, pearls…left best to the imagination!!!

 Swapnil has worn several hats , Jewellery Designer, Fashion Consultant, Jewellery Journalist , Craft Expert, Writer and Painter. More recently she diversified into Handicraft Products as an experiment in her journey in design .

 Every experiment in her life she avers has been … “a step in my journey of growth and self discovery, a kaleidoscopic part of life that enriches the fabric of my work and existence.”




AWARDS / RECOGNITION

- Received the ‘Excellence Award 2016’ in Fine Arts from Uttar Pradesh Art Society

-The Story behind one of the most admirable products of her label namely Desi Doll has covered by India Voice News Channel , telecasted on 7th of Jan 2016




Jewellery Design Technical Drawings 















Inside Stories from the Atelier of Jewellery Designer , Fashion Consultant & Craft Expert 'SWAPNIL'.








copyright©2013-Present.Swapnil Saundarya. All rights reserved


No part of this publication may be reproduced , stored in a  retrieval system or transmitted , in any form or by any means, electronic, mechanical, photocopying, recording or otherwise, without the prior permission of the copyright owner.

Copyright infringement is never intended, if I published some of your work, and you feel I didn't credited properly, or you want me to remove it, please let me know and I'll do it immediately.




Comments