रुद्राक्ष | Rudraksha by Swapnil Shukla
हमारे प्राचीन इतिहास से ही लोगों के बीच रुद्राक्ष एक आकर्षण का विषय बना हुआ है व इसकी असीम शक्तियों की चर्चा भी होती आ रही . आज के आधुनिक परिवेश में भी रुद्राक्ष के प्रति लोगों का झुकाव बना हुआ है. लोगों को इसकी चमत्कारी शक्तियों के बारे में जिज्ञासा बनी ही रहती है. तो आइये इस संदर्भ में जानते हैं कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण बातें रुद्राक्ष `के बारे में-
'रुद्राक्ष'- अर्थात भगवान शिव की सार्वधिक प्रिय वस्तु जिसकी उत्पत्ति पौराणिक मान्यताओं के अनुसार साक्षात भगवान शिव के नेत्रों से हुई है . असल में रुद्राक्ष एक फल का बीज है परन्तु इसमें विद्यमान अनेकों गुणों के कारण ये आध्यात्मिक व भौतिक विज्ञान एवं चिकित्सा जगत में बेहद पवित्र , पूज्यनीय व लाभकारी रुप में स्वीकार किया गया है.
रुद्राक्ष धारण करने वाला व्यक्ति अनेकों प्रकार की व्याधियों व आपदाओं से सुरक्षित रहता है . साथ ही साथ इसके दानों से बनी माला जप के लिये सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है .प्राचीन काल के साथ-साथ आज के आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने भी रुद्राक्ष के दानों में विद्यमान अदभुत चुम्बकीय व विद्युत शक्ति को स्वीकारा है जो इसको धारण करने वाले को अनेक प्रकार से प्रभावित करता है .
रुद्राक्ष के चमत्कारी प्रभावों के कारण लोग इसके दानों को शिवलिंग की भाँति ही पूजते हैं और कहा जाता है कि इसको धारण कर प्रभावी मंत्र 'ऊँ नम: शिवाय' का जप करने से व्यक्ति ज्वर उत्तेजना , रक्तचाप , बुरे स्वप्न, अनिद्रा, चर्मरोग आदि परेशानियों से निजात पा जाता है. वनस्पति विज्ञान ( Botany ) के अन्तर्गत रुद्राक्ष के पेड़ को ELAECARPUS GANITRUS ROXB कहते हैं और अंग्रेजी भाषा में UTRASUM BEAD TREE कहते हैं .
रुद्राक्ष की कई जातियाँ होती हैं जैसे एक मुखी , दो मुखी आदि. व्यक्ति विशेष को रुद्राक्ष की विभिन्न जातियों के बारे में जानने के बाद अपने भीतर की कमियों को दूर करने व परेशानियों से मुक्ति पाने के लिये इसको धारण करना चाहिये .
मुख्यत: रुद्राक्ष के दानों को गले या बाँह में धारण किया जाता है. पर आज के आधुनिक युग में इसको फैशन स्टेट्मेंट के तौर पर लोग ब्रेसलेट के रुप में भी धारण कर लेते हैं . ज्यादातर युवाओं को रुद्राक्ष एक आकर्षक एक्सेसरी के तौर पर लुभाता है जो उन्हें बेहतरीन लुक के साथ साथ उनके लिये अनेक लाभकारी परिणाम भी सामने लाने में मददगार साबित होता है. तभी अक्सर युवा वर्ग इसके दानों को गले में लॉकेट व ब्रेसलेट की तरह पहनना पसंद करते हैं परंतु ऐसी स्थिति में यदि आप रुद्राक्ष को धारण करते हैं तो पवित्रता का ध्यान रखते हुए प्रतिदिन प्रात: उठते ही सबसे पहले इसे अपने माथे से लगायें व ऊँ नम: शिवाय का जाप करें , आपको नि:संदेह अनेकों सुखों की प्राप्ति होगी .
आइये अब जानते हैं कि कौन सा मुखी रुद्राक्ष धारण करने से आप किस प्रकार से लाभान्वित हो सकते हैं -
एकमुखी : यह भगवान शिव क स्वरुप है. इसे धारण करने वाले व्यक्ति में एकाग्रता बढ़ती है व भक्ति एवं मुक्ति दोनों की ही प्राप्ति होती है.
दोमुखी: अर्धनारेश्वर अर्थात शिव व शक्ति का स्वरुप है . इसे धारण करने से पति-पत्नी में एकात्मक भाव उत्पन्न होता है व धन - धान्य से युक्त्त होकर व्यक्ति पवित्र गृ्हस्थ जीवन व्यतीत करता है.
तीनमुखी: अग्नि का स्वरुप है. धारणकर्ता अग्नि के समान तेजस्वी हो जाता है. आत्मविश्वास की कमी वाले लोगों के लिये बेहद लाभकारी है.
चारमुखी : भगवान ब्रह्मा का स्वरुप है. धारणकर्ता अनेकों कलात्मक व रचनात्मक गुणों को व बुद्धिमत्ता को प्राप्त करता है .
पंचमुखी: पंचब्रह्म स्वरुप है. धारणकर्ता को अच्छा स्वास्थ व शांति प्रदान करता है .साथ ही साथ धारणकर्ता अनेक पापों से मुक्त हो जाता है. आत्मविश्वास बढ़ोत्तरी में लाभदायक.
छ:मुखी : भगवान कार्तिकेय का स्वरुप है. बुद्धिमत्ता व विद्याप्राप्ति के लिये श्रेष्ठ है.
सातमुखी: यह देवी महालक्ष्मी का स्वरुप है. धारणकर्ता को धन, संपत्ति ,यश , कीर्ति, ऎश्वर्य , व्यापार व नौकरी में सफलता प्रदान करता है.
आठमुखी: भगवान गणेश का स्वरुप है. विघ्नहर्ता मंगलकर्ता है. रिद्धि-सिद्धि प्रदान करने के साथ- साथ इसे धारण करने से विरोधियों की समाप्ति हो जाती है.
नौमुखी : यह देवी दुर्गा माँ का स्वरुप है. यह धारणकर्ता को वीरता, शक्ति, साहस, कर्मठता , अभय व सफलता प्रदान करता है.
दसमुखी: भगवान विष्णु का स्वरुप है . इसको धारण करने से सर्वगृ्ह शांत हो जाते हैं . धारणकर्ता को भूत, पिशाच सर्प आदि का भय नहीं रहता है. साथ ही साथ शारीरिक सुरक्षा भी प्रदान करता है.
ग्यारहमुखी: भगवान हनुमान का स्वरुप है. भाग्य वृ्द्धि , धनवृ्द्धि , शक्ति, अभय व सफलता प्राप्ति के लिये श्रेष्ठ है. धारणकर्ता की दुर्घटनाओं से रक्षा होती है.
बारहमुखी: भगवान सूर्य का स्वरुप है. धारणकर्ता तेजस्वी व आत्मविश्वास से परिपूर्ण हो जाता है. यह धारणकर्ता की चिंताओं व परेशानियों का अंत करता है.
तेरहमुखी : भगवान इंद्र का स्वरुप है. ये धारणकर्ता की संपूर्ण कामनाओं को पूर्ण करता है व जीवन में सुख - शांति प्रदान करता है.
चौदहमुखी: भगवान हनुमान का स्वरुप है . अति दुर्लभ व प्रभावशाली . इसे देवमणि भी कहा जाता है. ये हानि , दुर्घटना, रोग व चिंता से मुक्त रखकर धारणकर्ता की सुरक्षा करता है. व्यक्ति की छठी इंद्री भी जाग्रत करने की इसमें शक्ति होती है. धारणकर्ता को धन-संपदा , सुख व शांति की प्राप्ति होती है.
पंद्रहमुखी: भगवान पशुपति का स्वरुप है. धारणकर्ता को धन प्रदान करता हैव चर्मरोगों में अत्यंत लाभदायक होता है.
सोलहमुखी: यह धारणकर्ता को सफलता प्रदान करता है व सर्दी और गर्मी के कारण होने वाले रोगों से रक्षा करता है. . यदि घर पर इसको रखा जाए तो चोरी, ड्कैती व आग लगने का खतरा नहीं रहता है.
This appeared in one of the leading hindi magazines ........
आप सभी को नव वर्ष की ढेर सारी बधाईयाँ व शुभकामायें...... आप सभी के लिये नव वर्ष मंगलमय हो.
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सर्वश्रेष्ठ जानकारी... बहुत - बहुत बधाई स्वप्निल जी.
ReplyDelete-मिनाक्षी
आपकी अनमोल टिप्पणी के लिये आपको हृदय से धन्यवाद !!
Deleteबेहद विस्तृ्त , उपयोगी व दुर्लभ जानकारी ..... रुद्राक्ष के बारे में इतना विधिवत तरीके से बताने के लिये आपको धन्यवाद .
ReplyDelete- उमा कौशिक , उज्जैन
आपकी अनमोल टिप्पणी के लिये आपको हृदय से धन्यवाद !!
Deleteअत्यंत उपयोगी व महत्तवपूर्ण बातें व जानकारी . स्वप्निल जी आपको कोटि - कोटि प्रणाम क्योंकि आपको पता नहीं कि कितने समय से मैं रुद्राक्ष के बारे में ऐसी ही विस्तृ्त व सटीक जानकारी की खोज में था......बहुत - बहुत आभार .
ReplyDelete- विनय माथुर
आपकी अनमोल टिप्पणी के लिये आपको हृदय से धन्यवाद !!
Deleteबढ़िया लेख .
ReplyDeleteअरुंधति
आपकी अनमोल टिप्पणी के लिये आपको हृदय से धन्यवाद !!
Deleteउत्कृष्ट प्रस्तुति . बधाई व आभार
ReplyDelete- स्वाति सक्सेना
आपकी अनमोल टिप्पणी के लिये आपको हृदय से धन्यवाद !!
Deleteबहुत उम्दा उत्कृष्ट प्रस्तुति..........बहुत सुंदर तरीके से लिखा गया है इतने जटिल विषय के बारे में. बधाई स्वप्निल जी!
ReplyDeleteधीरज प्रताप सिंह
आपकी अनमोल टिप्पणी के लिये आपको हृदय से धन्यवाद !!
Deletewow...great article with great presentation ..congra8
ReplyDeletethanks ...plz keep visiting :)
Deleteउपयोगी जानकारी
ReplyDeleteयह वर्ष सभी के लिए मंगलमय हो इसी कामना के साथ..आपको सहपरिवार नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ...!!!
आपकी अनमोल टिप्पणी के लिये आपको हृदय से धन्यवाद !!
Deleteबहुत ही उपयोगी और विस्तृत जानकारी । स्वप्निल जी ये रुद्राक्ष के गहने ाप बेचती बी हैं क्या । यदि हां तो ये कहां से प्राप्त करें ।
ReplyDeleteआशा जी ! आपकी अनमोल टिप्पणी के लिये आपको हृदय से धन्यवाद !! जी हाँ, मैं रुद्राक्ष की डिजायनर ज्वेलरी को भी अपनी हर exhibitions में शामिल करती हूँ .... exhibitions मुख्यत: साल में 2 बार लगाती हूँ , दिल्ली, जयपुर व पुणे में ....... जैसे ही next exhibitions की योजना बनेगी वैसे ही मैं आपको invitation card जरुर भेजूंगी ......वहाँ से आप अपनी जरुरत के हिसाब से रुद्राक्ष के आभूषणों का चयन कर सकती हैं..... आभार !
Deleteनववर्ष की अनेक शुभ कामनाएं ।
ReplyDeleteआपकी अनमोल टिप्पणी के लिये आपको हृदय से धन्यवाद !!
Delete'कविता रावत' ji wrote :
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति ...
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!
pehli bar aap ka blog dekha vh padha - achalaga
ReplyDeleteआपकी अनमोल टिप्पणी के लिये आपको हृदय से धन्यवाद !!
Deleteधन्यवाद इस तमाम जानकारी के लिए।
ReplyDeleteआपकी अनमोल टिप्पणी के लिये आपको हृदय से धन्यवाद !!
Deletegreat info . thanks for sharing
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